‘Photography के भविष्य पर संकट’: AI-जनित छवियों के खिलाफ फोटोग्राफ का विरोध बढ़ा

क्या एआई फोटोग्राफी की जगह ले लेगा

  • AI और फोटोग्राफी का संगम: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने फोटोग्राफी की दुनिया में तहलका मचा दिया है। अब, टेक्स्ट प्रॉम्प्ट्स से फोटो जनरेट करना संभव हो गया है।

  • ‘द व्हाइटआउट’ आंदोलन: विश्व प्रसिद्ध फोटोग्राफ़र अपने काम की सुरक्षा के लिए सोशल मीडिया से दूर हो रहे हैं और ‘द व्हाइटआउट’ जैसे आंदोलनों में भाग ले रहे हैं।

  • मूल्य और सत्यापन की चुनौती: AI द्वारा उत्पन्न फोटोग्राफ़्स की वास्तविकता और मूल्यांकन पर सवाल उठ रहे हैं।

AI और फोटोग्राफी: एक नई दिशा

AI के आगमन ने फोटोग्राफी की पारंपरिक परिभाषा को चुनौती दी है। अब, ‘मिडजर्नी’ और ‘डॉल-ई’ जैसे AI टूल्स से टेक्स्ट प्रॉम्प्ट्स के माध्यम से फोटो जनरेट किए जा सकते हैं। यह तकनीक फोटोग्राफ़र्स के लिए एक नई क्रिएटिविटी का द्वार खोलती है, लेकिन साथ ही यह पारंपरिक फोटोग्राफी की मौलिकता और सत्यापन पर सवाल भी खड़े करती है।

द व्हाइटआउट’ आंदोलन: AI से सुरक्षा की पहल

विश्व प्रसिद्ध फोटोग्राफ़र जैसे पॉल निकलन ने अपने काम की सुरक्षा के लिए ‘द व्हाइटआउट’ आंदोलन में भाग लिया है। इस आंदोलन के तहत, फोटोग्राफ़र्स अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स को अस्थायी रूप से बंद कर रहे हैं ताकि उनके काम का उपयोग AI मॉडल्स के प्रशिक्षण में बिना अनुमति के न हो सके। इसके लिए, ‘ओवरलाई’ जैसे ऐप्स का उपयोग किया जा रहा है, जो फोटोग्राफ़्स को AI से बचाने में मदद करते हैं।

AI द्वारा उत्पन्न फोटोग्राफ़्स: वास्तविकता या भ्रम?

AI द्वारा उत्पन्न फोटोग्राफ़्स की वास्तविकता पर सवाल उठ रहे हैं। इन फोटोग्राफ़्स को पहचानना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि वे वास्तविकता से मेल खाते हैं। इससे मीडिया और पत्रकारिता में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है, जहां AI द्वारा उत्पन्न फोटोग्राफ़्स को वास्तविक समझा जा सकता है।

फोटोग्राफी की दुनिया में AI का प्रवेश एक नई क्रांति का संकेत है। हालांकि यह तकनीकी दृष्टि से उन्नति है, लेकिन इसके साथ ही यह पारंपरिक फोटोग्राफी की मौलिकता, सत्यापन और नैतिकता पर सवाल भी खड़े करता है। फोटोग्राफ़र्स और समाज को इस नई दिशा में संतुलन बनाए रखते हुए आगे बढ़ने की आवश्यकता है।