भारत की आईटी और बीपीओ कंपनियों में काम करने वाले प्रोफेशनल्स के लिए एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। मल्टीनेशनल कंपनी Genpact ने अपने कर्मचारियों के लिए 10 घंटे का कार्यदिवस अनिवार्य कर दिया है। इस फैसले के बाद कंपनी सोशल मीडिया और न्यूज़ में ट्रेंड कर रही है।
Genpact ने लागू किया 10 घंटे का वर्कडे
हाल ही में सामने आई रिपोर्ट्स के अनुसार, Genpact के कुछ विभागों में मैनेजर्स ने कर्मचारियों को निर्देश दिया है कि वे अब रोज़ाना कम से कम 10 घंटे काम करें। यह नया नियम बिना किसी आधिकारिक घोषणा के आंतरिक रूप से लागू किया गया है। कंपनी ने इसके लिए एक इंटरनल ट्रैकिंग सिस्टम का भी इस्तेमाल शुरू किया है जिससे हर मिनट का काम रिकॉर्ड किया जाएगा।
WAM टूल से हर मिनट की निगरानी
Genpact ने एक सिस्टम ‘WAM’ लागू किया है, जो यह ट्रैक करता है कि कर्मचारी अपने कंप्यूटर पर कितना सक्रिय हैं, कितनी बार ब्रेक ले रहे हैं, और कुल कितने घंटे काम कर रहे हैं। इस टूल की वजह से कर्मचारियों में निगरानी को लेकर असंतोष है। उन्हें लग रहा है कि उनकी निजता और वर्क-लाइफ बैलेंस पर असर डाला जा रहा है।
Genpact क्या मिलेगा बोनस या मिलेगा दंड?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जो कर्मचारी 10 घंटे की डेली वर्किंग को फॉलो करेंगे, उन्हें ₹150 प्रतिदिन का बोनस या ₹3,000 प्रति माह तक का इंसेंटिव दिया जा सकता है। लेकिन जो इस नियम को पूरा नहीं करेंगे, उनके परफॉर्मेंस रिव्यू पर असर डाला जा सकता है। इससे कर्मचारियों के बीच डर और तनाव का माहौल बन गया है।
सोशल मीडिया पर फूटा गुस्सा
Genpact के इस नए नियम को लेकर सोशल मीडिया पर यूजर्स ने नाराजगी जाहिर की है। ट्विटर और लिंक्डइन पर हजारों लोगों ने इस फैसले को “अत्यधिक शोषण” करार दिया है। कई यूजर्स ने लिखा कि “काम करने का मतलब गुलामी नहीं हो सकता।” वहीं कुछ लोगों ने इसे कर्मचारियों की मेंटल हेल्थ के लिए हानिकारक बताया है।
क्या कहती है कंपनी?
अब तक Genpact की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, कई कर्मचारियों ने पुष्टि की है कि यह नियम कुछ प्रोजेक्ट्स और टीमों में लागू कर दिया गया है। यह देखना बाकी है कि कंपनी इस फैसले पर कायम रहती है या कर्मचारियों की प्रतिक्रिया के बाद इसमें बदलाव करती है।
Genpact का 10 घंटे वर्कडे नियम फिलहाल पूरे आईटी सेक्टर में चर्चा का विषय बन चुका है। एक तरफ कंपनी उत्पादकता बढ़ाना चाहती है, वहीं दूसरी ओर कर्मचारी अपने अधिकारों और संतुलित जीवन की मांग कर रहे हैं। अगर इस दिशा में समाधान नहीं निकला, तो यह विवाद और गहराता जा सकता है।