Indus water treaty रोक के बाद India ने world bank से विवाद सुनवाई रोकने को कहा

भारत ने विश्व बैंक के न्यूट्रल एक्सपर्ट मिशेल लीनो को पत्र लिखकर किशनगंगा और रतले हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स से जुड़े विवादों की सुनवाई को रोकने की औपचारिक मांग की है। यह कदम केंद्र सरकार द्वारा सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) को स्थगित करने के फैसले के बाद उठाया गया है।

भारत ने क्यों उठाया ये कदम?

सरकार ने 24 अप्रैल को पाकिस्तान को पत्र लिखकर सूचित किया था कि संधि को “अस्थायी रूप से निलंबित” किया जा रहा है जब तक कि पाकिस्तान आतंकवाद को स्पष्ट रूप से त्याग नहीं देता।

अब भारत ने वर्ल्ड बैंक के विशेषज्ञ को निवेदन किया है कि 2025 के लिए तय “वर्क प्रोग्राम” को रद्द किया जाए।

क्या है मामला?

  • विवादित परियोजनाएँ:

    • किशनगंगा (किशनगंगा नदी पर)

    • रतले (चिनाब नदी पर)

  • पाकिस्तान का आरोप है कि भारत इन परियोजनाओं के डिज़ाइन से संधि का उल्लंघन कर रहा है, विशेषकर न्यूनतम जल प्रवाह के नियमों का।

आगे की कार्यवाही क्या थी?

  • पाकिस्तान को 7 अगस्त तक अपना काउंटर मेमोरियल जमा करना था।

  • 17-22 नवंबर को चौथी बैठक निर्धारित थी, जिसमें भारत और पाकिस्तान की प्रस्तुतियाँ और प्रश्नोत्तर होने थे।

  • दिसंबर में दूसरा साइट विज़िट भी तय था।

लेकिन अब भारत ने इन सभी कार्यक्रमों को रद्द करने की मांग की है।

भारत की नई रणनीति:

  • इंडस नदी प्रणाली से पानी को भारतीय राज्यों की ओर मोड़ने के लिए नहर बनाने की योजना।

  • बगलीहार और सलाल परियोजनाओं पर पहली बार सिडीमेंट फ्लशिंग एक्सरसाइज की गई।

  • अब हर महीने ये सफाई की जाएगी, जो पहले पाकिस्तान की आपत्तियों की वजह से रुकती थी।

चार प्रोजेक्ट्स होंगे तेज़ी से पूरे:

  • पकल दुल (1000 मेगावाट)

  • रतले (850 मेगावाट)

  • किरु (624 मेगावाट)

  • क्वार (540 मेगावाट)

    पकल दुल जम्मू-कश्मीर का पहला स्टोरेज आधारित हाइड्रो प्रोजेक्ट होगा।

भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि को लेकर जारी खींचतान अब एक नई दिशा ले चुकी है। भारत की नई नीति जल संसाधनों के अधिकतम उपयोग और पाकिस्तान के प्रति सख्त रुख को दर्शाती है।