लंदन के India Global Forum 2025 में गूगल के सीईओ सुंदर पिचई की मुलाकात वर्षों पुराने IIT-धनबाद के सहपाठी गौरांग दास से हुई, जो अब ISKCON के सन्यासी हैं।
पिचई ने देखा कि दास पहले से ज़्यादा तरोताज़ा और युवा दिख रहे हैं, तो हँसते हुए पूछ बैठे—आख़िर राज़ क्या है? दास ने मुस्कुराकर जवाब दिया, “आप गूगल सँभालते हैं, मैं भगवान।”
इस हल्के-फुल्के संवाद ने मंच का माहौल चमका दिया और चर्चा सीधे डिजिटल तनाव, सोशल-मीडिया लत और मानसिक स्वास्थ्य पर आ गई। दास ने चेताया कि दुनिया-भर में 23 करोड़ लोग सोशल-मीडिया-आसक्त हैं; भारत में 70 फ़ीसदी किशोर रोज़ सात घंटे से अधिक ऑनलाइन रहते हैं।
लगातार स्क्रीन-टाइम से होने वाली थकान, नींद-कमी और चिड़चिड़ेपन को रोकने के लिए उन्होंने रोज़ाना मेडिटेशन, नियमित डिजिटल-डीटॉक्स और ऑफ़लाइन सामूहिक गतिविधियों पर ज़ोर दिया।
पिचई ने भी माना कि टेक कम्पनियों को उत्पादकता और मानव-कल्याण के बीच बेहतर संतुलन खोजना होगा, और गूगल अपने प्लेटफ़ॉर्म में डिजिटल-वेलबीइंग फीचर मज़बूत कर रहा है।
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