India-US के बीच 48 hours में mini trade deal संभव, India ने Agriculture और dairy पर दी सख्त चेतावनी

Bhiju Nath

टैरिफ कटौती और एक्सपोर्ट बढ़ाने पर फोकस, कृषि और डेयरी को डील से बाहर रखने की संभावना

भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से अटकी व्यापार वार्ता अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है। सूत्रों के अनुसार, दोनों देशों के बीच एक मिनी ट्रेड डील अगले 48 घंटों में फाइनल हो सकती है, जिस पर वॉशिंगटन में तीव्र बातचीत चल रही है। भारत का प्रतिनिधिमंडल पहले से ही अमेरिका में अपनी यात्रा बढ़ा चुका है ताकि अंतिम मतभेदों को सुलझाया जा सके।

अमेरिका का दबाव, भारत की सख्ती

अमेरिका लगातार भारत से कृषि और डेयरी सेक्टर को खोलने की मांग कर रहा है, खासतौर पर जेनेटिकली मॉडिफाइड फसलों (GM crops) के लिए, लेकिन भारत ने इसे अपनी “रेड लाइन” बताते हुए डील से बाहर रखने का साफ संकेत दिया है। भारत का कहना है कि इससे गांवों की आजीविका और खाद्य सुरक्षा पर असर पड़ेगा।

भारत की रणनीति – श्रम-प्रधान उत्पादों पर रियायतें जरूरी

भारत डील में शामिल होने के लिए एक मजबूत शर्त पर अड़ा हुआ है: उसे अपने श्रम-प्रधान उत्पादों जैसे जूते, परिधान और चमड़ा जैसी वस्तुओं पर अमेरिका से टैरिफ में ठोस रियायतें चाहिए। भारत का मानना है कि यदि यह नहीं मिला, तो 2023 तक द्विपक्षीय व्यापार को $500 बिलियन तक ले जाने का लक्ष्य अधूरा रह जाएगा

FIEO का अनुमान – एक्सपोर्ट दोगुना होगा

FIEO (Federation of Indian Export Organisations) के सीईओ अजय सहाई के मुताबिक, “यदि यह अंतरिम ट्रेड डील हो जाती है, तो **अगले तीन वर्षों में अमेरिका को भारत का निर्यात दोगुना हो सकता है।”

टैरिफ पर फोकस, कृषि-डेयरी रहेंगे बाहर

NDTV Profit की रिपोर्ट के मुताबिक, इस डील का दायरा अब मुख्यतः रेसिप्रोकल टैरिफ में कटौती या समाप्ति पर केंद्रित हो गया है। कृषि और डेयरी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों को डील से बाहर रखा जाएगा, क्योंकि यह भारत के राजनीतिक और ग्रामीण समीकरणों से जुड़ा मुद्दा है।

ट्रंप का बयान – “कम टैरिफ वाला नया डील होगा”

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कहा, “भारत के साथ हमारी डील होने जा रही है। यह एक अलग तरह की डील होगी, जहां हम एक-दूसरे के बाजार में मुकाबला कर पाएंगे। अभी भारत किसी को अंदर आने नहीं देता, लेकिन मुझे लगता है अब वो ऐसा करेगा।”

26% टैरिफ की वापसी की डेडलाइन करीब

दोनों देशों ने Bilateral Trade Agreement (BTA) पर वार्ता शुरू की थी, ताकि 26% सस्पेंडेड टैरिफ फिर से लागू न हो। अगर 9 जुलाई तक डील नहीं होती, तो ये टैरिफ अपने आप फिर से लागू हो जाएंगे। हालांकि, कुछ अधिकारियों का कहना है कि भारत को इससे ज्यादा नुकसान नहीं होगा क्योंकि यह दर वैश्विक प्रतिस्पर्धियों की तुलना में अब भी कम है।

निष्कर्ष

भारत का कृषि और डेयरी क्षेत्रों पर रुख स्पष्ट है – रूरल इकॉनमी के हितों से कोई समझौता नहीं। वहीं, अमेरिका चाहता है कि उसके उत्पाद भारत में गहराई से प्रवेश करें। यह डील अगर सधे हुए संतुलन के साथ होती है, तो आने वाले वर्षों में भारत-अमेरिका व्यापार को नई ऊंचाई मिल सकती है।