मां कामाख्या: एक जीवित यंत्र और तांत्रिक रहस्यों की देवी
परिचय: एक ऐसी शक्ति पीठ जो बाकी सबसे अलग है
असम की नीलांचल पहाड़ियों में स्थित मां कामाख्या मंदिर न केवल देवी पूजा का एक प्रमुख केंद्र है, बल्कि तंत्र साधना और स्त्री ऊर्जा का जीवंत प्रतीक भी है। यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है, और अंबुबाची मेले के दौरान देवी के रजस्वला (मासिक धर्म) होने की अनूठी मान्यता के लिए प्रसिद्ध है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस मंदिर के गर्भगृह के नीचे एक ऐसा रहस्य छिपा है जिसे आम भक्त नहीं जानते?
अज्ञात तथ्य: गर्भगृह के नीचे मौजूद एक “जीवित तांत्रिक यंत्र”
देवियों की नहीं, ऊर्जा की होती है यहां पूजा
मां कामाख्या मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां किसी मूर्ति की पूजा नहीं होती। इसके स्थान पर, एक प्राकृतिक योनि-आकार की शिला (चट्टान) की पूजा होती है, जिसे एक सतत बहती जलधारा धोती रहती है।
लेकिन यहां एक ऐसा रहस्य है जिसे केवल कुछ गिने-चुने तांत्रिक जानते हैं:
कहा जाता है कि इस शिला के ठीक नीचे पृथ्वी की परतों में एक “जीवित यंत्र” स्थित है — एक ऐसा तांत्रिक यंत्र जो स्थिर नहीं बल्कि जीवित है, और विशेष ज्योतिषीय समयों पर सक्रिय हो जाता है।
कैसे अलग है ये रहस्य?
जीवित यंत्र का सिद्धांत: सामान्यतः यंत्र धातु पर उकेरे जाते हैं या चित्रित होते हैं। लेकिन कामाख्या में यह यंत्र खुद पृथ्वी की संरचना में मौजूद है — सजीव और ऊर्जावान।
ऊर्जा का भंवर: कई तांत्रिकों का मानना है कि यह मंदिर एक ऊर्जा केंद्र (Energy Vortex) है, जहां ब्रह्मांडीय और भूगर्भीय ऊर्जा मिलती हैं।
साधारण भक्तों से छिपा रहस्य: इस जीवित यंत्र की जानकारी किसी भी आम गाइडबुक या वेबसाइट पर नहीं मिलती। यह केवल तांत्रिक साधकों को गुरु परंपरा से दी जाती है।
निष्कर्ष: सिर्फ मंदिर नहीं, एक जीवित शक्ति स्थल
मां कामाख्या का मंदिर एक आस्था का स्थान जरूर है, लेकिन उससे कहीं अधिक यह एक तांत्रिक ऊर्जा केंद्र है, जहां प्रकृति, शक्ति और रहस्य मिलकर एक अलौकिक अनुभव रचते हैं। यह मान्यता कि गर्भगृह के नीचे एक जीवित तांत्रिक यंत्र स्पंदित होता है, इस मंदिर को दुनिया के किसी भी अन्य मंदिर से अलग बनाती है।
तो अगली बार जब आप मां कामाख्या के दर्शन करें, तो जान लें — आप सिर्फ एक मंदिर में नहीं, बल्कि एक जीवित शक्ति क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं, जहां मां की ऊर्जा आज भी धड़क रही है।



