भारत में domestic savings में गिरावट: क्रेडिट पर बढ़ता निर्भरता, जीडीपी का 18.1% तक पहुंचा बचत का हिस्सा!

क्या हो रहा है भारत की आर्थिक सेहत में? बढ़ते कर्ज़ पर निर्भरता और घटती घरेलू बचत की दिक्कतें!

नई दिल्ली:

भारतीय घरेलू बचत दर में गिरावट आई है, और अब यह देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का केवल 18.1% रह गई है। यह पिछले कुछ वर्षों में सबसे कम स्तर है। इसके परिणामस्वरूप भारतीय परिवार अब पहले से कहीं ज्यादा क्रेडिट पर निर्भर होने लगे हैं। खर्चों को पूरा करने के लिए लोग अब उधारी का सहारा लेने में कोई हिचकिचाहट नहीं दिखा रहे हैं, जिससे देश की वित्तीय स्थिति पर असर पड़ सकता है।

घरेलू बचत का गिरना: भारत के लिए एक गंभीर चिंता!

हालांकि भारतीयों की बचत की आदत हमेशा से उच्च रही है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इसमें लगातार कमी आई है। 2023 में घरेलू बचत के आंकड़े ने यह साफ कर दिया है कि भारतीय नागरिक अब अपनी आय का अधिकांश हिस्सा खर्चों में लगा रहे हैं और बचत की दर में लगातार गिरावट आ रही है।

क्रेडिट पर निर्भरता का बढ़ना:

जैसे-जैसे बचत में गिरावट आई है, वैसे-वैसे क्रेडिट कार्ड, पर्सनल लोन और अन्य उधारी विकल्पों का उपयोग बढ़ा है। यह भारत में एक नई वित्तीय आदत बन चुकी है, जहां अधिक लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए उधार पर निर्भर हो रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति देश के वित्तीय समृद्धि के लिए खतरे की घंटी हो सकती है, क्योंकि यह उधारी का बोझ बढ़ा सकती है।

क्या कारण हैं बचत की गिरावट के?

  1. महंगाई का असर: बढ़ती महंगाई ने आम आदमी के बजट को प्रभावित किया है, जिससे बचत के लिए कम पैसे बचते हैं।

  2. आवश्यक खर्चों में वृद्धि: शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य आवश्यक खर्चों में लगातार बढ़ोतरी ने बचत को प्रभावित किया है।

  3. उधारी की सुविधा: आसान क्रेडिट उपलब्धता और कर्ज़ की दरों में कमी ने उधारी को आकर्षक बना दिया है।

कर्ज़ लेने का बढ़ता ट्रेंड:

विशेषज्ञों का कहना है कि अधिकतर भारतीय अब अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए कर्ज़ पर निर्भर हो रहे हैं। इससे महज तात्कालिक राहत तो मिल रही है, लेकिन दीर्घकालिक वित्तीय स्थिति पर यह बड़ा असर डाल सकता है। बैंकिंग और वित्तीय संस्थानों द्वारा दिए जा रहे पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड के बढ़ते उपयोग ने यह संकेत दिया है कि लोग अब अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए अधिक क्रेडिट का उपयोग कर रहे हैं।

भारत के लिए क्या समाधान है?

यदि यह ट्रेंड जारी रहता है, तो भविष्य में भारतीय अर्थव्यवस्था में असंतुलन आ सकता है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि सरकार और वित्तीय संस्थाओं को घरेलू बचत को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने होंगे। इसके अलावा, क्रेडिट पर निर्भरता को नियंत्रित करने के लिए लोगों को वित्तीय साक्षरता बढ़ाने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष:

भारत में घरेलू बचत की दर में गिरावट और बढ़ती क्रेडिट निर्भरता देश की आर्थिक स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा बन सकती है। अब समय है कि देश के नागरिक अपनी बचत की आदतों को फिर से सुधारें और सरकार व वित्तीय संस्थाएं इसे लेकर जरूरी कदम उठाएं।