दुनिया एक बार फिर युद्ध की कगार पर खड़ी है। अमेरिका ने रविवार को ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों — फोर्दो, नतांज़ और इस्फहान पर हवाई हमला कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि ये “बहुत सफल” हमले थे और अगर ईरान अब भी शांति नहीं चाहता तो और बड़े हमले किए जाएंगे।
इन हमलों के बाद ईरान ने भी जवाबी कार्रवाई में इज़राइल पर मिसाइलों की बौछार कर दी है। वहीं इज़राइली सेना ने भी पश्चिमी ईरान में मिसाइल लॉन्चर और अन्य सैन्य ठिकानों पर ताबड़तोड़ हमले किए हैं।
ट्रंप का सख्त संदेश: “अब भी समय है, नहीं तो और तबाही होगी”
अपने संबोधन में राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा,
“ईरान के यूरेनियम संवर्धन ठिकानों को पूरी तरह से तबाह कर दिया गया है। अगर ईरान अब भी शांति नहीं चाहता तो इससे भी ज़्यादा ताकतवर हमले होंगे।”
उनके इस बयान से साफ है कि अमेरिका अब डिप्लोमेसी की जगह सैन्य शक्ति के ज़रिए दबाव बढ़ा रहा है।
ईरान का पलटवार: “यह अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन, इसके गंभीर परिणाम होंगे”
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने कहा:
“संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होने के बावजूद, अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय कानून और NPT (Non-Proliferation Treaty) का गंभीर उल्लंघन किया है। ये हमले हमारे शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम पर किए गए हैं। ईरान आत्मरक्षा के तहत सभी विकल्प सुरक्षित रखता है।”
ईरान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाने की मांग की है और चेतावनी दी है कि इसका असर “स्थायी” होगा।
इज़राइल पर मिसाइल हमले, पश्चिमी ईरान में फिर से हवाई हमले
ईरानी मिसाइलों के हमले के बाद तेल अवीव सहित इज़राइल के कई शहरों में धमाकों की आवाज़ें सुनी गईं। इज़राइली सेना ने भी जवाबी कार्रवाई में ईरान के मिसाइल ठिकानों पर बमबारी की है।

पीएम मोदी की अपील: “तुरंत शांति बहाल की जाए”
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ईरान के राष्ट्रपति से फोन पर बातचीत कर सीधे शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि:
“यह समय शांति, कूटनीति और संवाद का है। किसी भी तरह का युद्ध क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता को खतरे में डाल सकता है।”

क्या कहता है अंतरराष्ट्रीय समुदाय?
संयुक्त राष्ट्र अब इस संकट को लेकर गंभीर चिंताओं में है।
यूरोपीय देशों के विदेश मंत्री जेनेवा में ईरानी प्रतिनिधियों से मिल चुके हैं, लेकिन चार घंटे की बैठक के बाद भी कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।
ईरान-अमेरिका संघर्ष अब एक खुला सैन्य टकराव बन चुका है, जिसमें इज़राइल भी शामिल हो गया है। आने वाले कुछ घंटे और दिन तय करेंगे कि यह विवाद पूरे मध्य-पूर्व को युद्ध में झोंक देगा या कूटनीतिक प्रयासों से हालात काबू में आ सकेंगे।
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