प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को आपातकाल (Emergency) की 50वीं वर्षगांठ पर देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि “कोई भी भारतीय उस समय को नहीं भूल सकता जब संविधान की आत्मा को कुचला गया था और संसद को चुप करा दिया गया था।”
यह टिप्पणी उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट्स की एक श्रृंखला के माध्यम से की, जिसमें उन्होंने 1975 में लगे आपातकाल को भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का “सबसे काला अध्याय” बताया।
पीएम मोदी ने कहा – “संविधान को दबाया गया, लोकतंत्र को कुचला गया”
प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा:
“आपातकाल भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का एक ऐसा अध्याय है जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता। यह वो समय था जब देश में लोकतांत्रिक संस्थानों को कुचला गया, प्रेस की आज़ादी छीनी गई और नागरिक अधिकारों को रौंद दिया गया।”
उन्होंने देश के हर नागरिक से आग्रह किया कि उन सभी साहसी लोगों को नमन करें, जिन्होंने आपातकाल के खिलाफ आवाज़ उठाई, जेलें सहीं और लोकतंत्र को जीवित रखने के लिए संघर्ष किया।
क्या था आपातकाल?
25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू किया था, जो 21 महीने तक चला। इस दौरान:
मीडिया सेंसरशिप लागू हुई,
हजारों राजनीतिक विरोधियों को जेल में डाला गया,
और नागरिक स्वतंत्रताओं को निलंबित कर दिया गया।
यह आज़ाद भारत के इतिहास का एक ऐसा दौर था जिसे आज भी लोकतंत्र के सबसे बड़े संकट के रूप में याद किया जाता है।
विपक्ष पर भी तंज
हालांकि प्रधानमंत्री मोदी ने किसी पार्टी का नाम नहीं लिया, लेकिन उन्होंने साफ संकेत दिए कि कुछ लोग अब भी वही मानसिकता रखते हैं और लोकतंत्र के नाम पर जनता को गुमराह करते हैं, जबकि इतिहास में उनका असली चेहरा सामने है।
आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान सिर्फ एक ऐतिहासिक टिप्पणी नहीं, बल्कि लोकतंत्र की रक्षा और संविधान की गरिमा की पुकार भी है।
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