अहमदाबाद में एयर इंडिया की प्लेन क्रैश, सिर्फ एक यात्री जिंदा बचा
“मैं लगा था कि मैं भी मर जाऊंगा” – मौज़ूदा यात्री का बयान
पीएम मोदी अस्पताल में मिले, ग्लोबल सुरक्षा चर्चाओं में सवाल खड़े
देखें, कैसे उड़ान और DVR फैले सवालों की बौछार…
एक विमान, दो दुनिया
12 जून, 2025, दोपहर लगभग 1:38 बजे, अहमदाबाद एयरपोर्ट से लंदन के लिए उड़ान भरने के बाद कुछ ही सेकंड में, एयर इंडिया फ्लाइट AI 171 एक बुरी दुर्घटना में धड़ाम हो गई। बोइंग 787–8 ड्रीमलाइनर विमान का दाहिना हिस्सा एक मेडिकल कॉलेज हॉस्टल में घुस गया और विस्फोट हो गया। इस भयावह हादसे में 241 लोग अपनी जान गंवा बैठे।
लेकिन इसी त्रासदी में एक अद्भुत कहानी भी उभरकर सामने आई – वह एकमात्र यात्री जिसने चमत्कारिक रूप से बचा। उनका नाम है विश्वश कुमार रमेश – 40 वर्षीय ब्रिटिश भारतीय, जो सीट 11A पर बैठे थे।
“मैंने देखा कि लोग मर रहे हैं”— रमेश का हृदयविदारक बयान
रिमोट सीसीटीवी फुटेज में, वह घायल अवस्था में, चटख रंग की टी‑शर्ट और चेहरे पर चोट के निशान लिए अस्पताल की ओर चलते दिखे। अस्पताल बेड पर लेटे हुए उन्होंने कहा:
“मैंने नहीं सोचा था कि मैं बच पाऊँगा…नीले-हरे फ्लैश के बाद विमान धीमा हो गया, फिर धड़ाम…”
उन्होंने बताया कि उनकी सीट का पास का दरवाज़ा टूट गया और बाहर निकलने का एक मौका मिला, तो उन्होंने भागकर पलटवार किया। सामने ही एयर होस्टेस और अन्य यात्री गिर रहे थे।
बचाव कर्मियों ने कहा:
अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में डॉक्टर धवल गेमेती ने कहा कि रमेश दिशाहीन और कई चोटों के साथ अस्पताल लाए गए—लेकिन अब स्थिर स्थिति में हैं।
नेताओं से मुलाकात: मोदी पहुंचे, सवाल और पहरे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद अस्पताल पहुंचे, जहां रमेश से मिले और उनकी कुशलता की जानकारी ली। गृह मंत्री अमित शाह और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी वहां थे।
इस पूरे घटनाक्रम ने ऑस्ट्रेलिया DVR सिस्टम, प्लेन सुरक्षा रिकॉर्डर्स, और नियामक प्रोटोकॉल की चर्चा को उॅभार दिया—आखिर इतनी आधुनिक टेक्नोलॉजी क्यों न रूक सकी इस हृदयघात को?
संभव कारणों की तहकीकात
कुछ एयरक्रैश विशेषज्ञों का कहना है कि शायद प्लेन ने उड़ान भरने के दौरान स्टॉल (stall) कर दिया – यानी वह कुछ सेकंड ‘ठहर गया’।
अन्य संभावनाओं में शामिल हैं:
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- बर्ड स्ट्राइक, यानी पक्षियों के इंजन में घुस जाना
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- इंजन फेलियर या ईंधन दूषित होना
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- शायद कुछ तकनीकी खराबी या DVR रिकॉर्डिंग में चूक?
लोकल मीडिया में भी ये सवाल उठ रहे हैं—क्या अब विमान सुरक्षा के नियम और सख्त होंगे?
ताबड़तोड़ मौतें और मिडिल ईस्ट में उबाल
क्रैश में 241 लोग मरे, जिनमें थे 230 यात्री और 12 क्रू, साथ ही हॉस्टल में पढ़ रहे करीब 28 छात्र और स्टाफ भी प्रभावित हुए । विमान में थे 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली और 1 कनाडाई।
इस भयानक हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है।
सुरक्षा पर नया फोकस
इस दुर्घटना से उठे सुरक्षा सवाल याद दिलाते हैं कि उड़ान यात्रा कितनी भी सुरक्षित क्यों न लगती हो, लेकिन बिना रोबोस्ट DVR, मल्टीस्पोर्ट रिकॉर्डिंग, और एंटी-स्टॉल टेक्नोलॉजी के, किसी भी विमान दुर्घटना का अंत भयंकर हो सकता है।
विशेषज्ञों की राय है कि बैठने की जगह, आपातकालीन निकास, और फायर कंट्रोल सिस्टम का भी बेहतर रिव्यू जरूरी है।
हमारी संवेदनाएँ और आगे की राह
हमेें उन 241 परिवारों के प्रति गहरी संवेदना है, जिन्होंने यह सबसे बड़ा सदमा झेला। और रमेश – जो एक चमत्कार की तरह बचे – उनकी कहानी हमें याद दिलाती है कि मानव हिम्मत और वैक्सीन तकनीक कितनी कुछ बचा सकती है।
आशा है कि इस हादसे से उठे सुरक्षा सवालों को गंभीरता से देखा जाए और भविष्य में ऐसी त्रासदियाँ न हों।