राष्ट्रपति पेज़ेशकियान ने कानून पर किए हस्ताक्षर
ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेशकियान ने बुधवार को एक अहम कानून पर हस्ताक्षर कर दिए, जिसके तहत अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के साथ सहयोग तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। यह निर्णय उस समय लिया गया है जब ईरान, अमेरिका और इज़राइल के बीच परमाणु प्रतिष्ठानों पर हालिया हमलों को लेकर तनाव चरम पर है।
IAEA निरीक्षकों की पहुंच पर लगी रोक
ईरानी संसद पहले ही इस प्रस्ताव को पारित कर चुकी थी, जिसमें यह साफ कहा गया था कि अब IAEA निरीक्षक बिना राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की मंजूरी के किसी भी परमाणु स्थल का निरीक्षण नहीं कर सकेंगे। इस कदम के साथ ही ईरान ने IAEA प्रमुख राफेल ग्रोसी को देश में प्रवेश की अनुमति देने से भी इनकार कर दिया है।
इज़राइल और अमेरिका पर जवाबी कार्रवाई का असर
यह निर्णय ऐसे समय आया है जब इज़राइल ने 13 जून को ईरान के कई सैन्य और परमाणु ठिकानों पर अचानक हमले किए, जिसके बाद अमेरिका ने भी 22 जून को फोर्दो, इस्फहान और नतांज़ जैसे संवेदनशील ठिकानों पर बमबारी की। ईरान ने इन हमलों के जवाब में मिसाइल और ड्रोन से पलटवार किया, और 24 जून को संघर्षविराम लागू हुआ।
यूरोपीय देशों की चिंता
ईरान के इस कदम पर जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देशों ने चिंता जताई है। जर्मन विदेश मंत्रालय ने इसे “विनाशकारी संकेत” बताया और कहा कि कूटनीतिक समाधान के लिए IAEA के साथ सहयोग अनिवार्य है। वहीं, इज़राइल ने परमाणु समझौते के तहत “स्नैपबैक” मैकेनिज़्म को सक्रिय करने की मांग की है ताकि ईरान पर संयुक्त राष्ट्र के पुराने प्रतिबंध दोबारा लगाए जा सकें।
ईरान का सख्त जवाब
ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “ग्रोसी का बमबारी किए गए परमाणु स्थलों पर जाने का आग्रह सिर्फ बहाना है और संभवतः दुर्भावनापूर्ण है। ईरान अपने हितों की रक्षा के लिए किसी भी कदम को उठाने का अधिकार रखता है।”
संकट की गंभीरता
ईरानी न्यायपालिका के अनुसार, इज़राइल के हमलों में अब तक 935 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। वहीं ईरान के जवाबी हमलों में 28 इज़राइली नागरिकों की मौत की पुष्टि की गई है।
यह घटनाक्रम ईरान और पश्चिमी देशों के बीच परमाणु कार्यक्रम को लेकर लंबे समय से चले आ रहे विवाद को और गहरा बना रहा है। ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण है, जबकि इज़राइल और कुछ पश्चिमी देश इसे परमाणु हथियार प्राप्त करने की दिशा में उठाया गया कदम मानते हैं।
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