21 जून 2025: मध्य-पूर्व में तनाव एक बार फिर अपने चरम पर पहुंच गया है। अमेरिका द्वारा ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर बी-2 बमवर्षकों से हमला करने के बाद, ईरान ने कड़ी प्रतिक्रिया देने का संकेत दिया है। ईरान के सर्वोच्च नेता आयातुल्ला अली खमेनेई ने तीखी चेतावनी देते हुए कहा, “अमेरिका को अब तक के सबसे गंभीर परिणामों के लिए तैयार रहना चाहिए।”
खमेनेई की चेतावनी: अमेरिका को मिलेगा ‘अभूतपूर्व नुकसान’
इस घटना को ईरान ने बिना उकसावे की “युद्ध की कार्यवाही” करार दिया है। खमेनेई ने अपने बयान में कहा कि ईरान अब चुप नहीं बैठेगा और अमेरिका को उसकी कार्रवाई का कड़ा जवाब मिलेगा। उन्होंने सीधे तौर पर कहा कि अमेरिका को इस बार ऐसा नुकसान झेलना पड़ेगा जैसा उसने पहले कभी नहीं देखा।
अमेरिकी नौसैनिक बेड़े पर हमले की तैयारी?
ईरान में खमेनेई के प्रतिनिधि हुसैन शरीअतमदारी ने इस बयान को और तीखा बना दिया। उन्होंने कहा, “अब हमारी बारी है कार्यवाई करने की, और उसमें किसी तरह की देरी नहीं होनी चाहिए। हमारा पहला कदम होना चाहिए – अमेरिका के नौसैनिक बेड़े पर मिसाइल हमला और एक साथ ही स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज़ को अमेरिकी, ब्रिटिश, जर्मन और फ्रांसीसी जहाज़ों के लिए बंद करना।”
यह बयान इस ओर संकेत करता है कि ईरान, अब सिर्फ चेतावनी तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि सीधा हमला कर सकता है।
अमेरिका का जवाब: ट्रंप ने दी कड़ी चेतावनी
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “अगर ईरान ने अमेरिका पर कोई भी जवाबी हमला किया, तो उसे उस से कहीं अधिक शक्ति का सामना करना पड़ेगा, जितना कि अभी देखा गया है। धन्यवाद!”
यह बयान दर्शाता है कि दोनों देशों के बीच तनाव अब सीधे टकराव की ओर बढ़ रहा है।
ईरान का विदेश मंत्रालय: ‘हमारे पास जवाब देने का पूरा हक़’
ईरान के विदेश मंत्री ने अमेरिकी हमले की निंदा करते हुए कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का घोर उल्लंघन है। उन्होंने कहा:
“अमेरिका, जो खुद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है, उसने अंतरराष्ट्रीय कानून, यूएन चार्टर और NPT (परमाणु अप्रसार संधि) का खुला उल्लंघन किया है।”
उन्होंने कहा कि ईरान अपनी संप्रभुता, हितों और नागरिकों की रक्षा के लिए हर विकल्प खुले रखता है।
जनता को आश्वासन: “कोई खतरा नहीं”, परमाणु कार्यक्रम जारी रहेगा
ईरानी सरकारी मीडिया ने बताया कि जनता को कोई खतरा नहीं है और स्थिति नियंत्रण में है। ईरान की परमाणु ऊर्जा संस्था ने साफ किया कि:
“हमारे परमाणु कार्यक्रम की दिशा नहीं बदलेगी। हमारे परमाणु वैज्ञानिकों के बलिदान से जो यह कार्यक्रम खड़ा हुआ है, वह अमेरिका की साजिशों से रुकेगा नहीं।”
ईरान और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ा दी है। Strait of Hormuz जैसे रणनीतिक जलमार्ग की बंदी का सुझाव केवल क्षेत्रीय नहीं, बल्कि वैश्विक प्रभाव डाल सकता है। आने वाले दिनों में यह देखना बेहद जरूरी होगा कि क्या यह केवल शब्दों की लड़ाई है, या सच में कोई बड़ा संघर्ष सामने आएगा।



