Khamenei का ऐलान: Iran कभी America के आगे नहीं झुकेगा

Bhiju Nath

युद्ध विराम के बाद पहली प्रतिक्रिया में खामेनेई का तीखा बयान

ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने अमेरिका को खुली चेतावनी देते हुए कहा है कि “ईरान कभी भी अमेरिका के आगे समर्पण नहीं करेगा।” यह बयान उन्होंने ईरान-इज़राइल युद्ध के 12 दिनों के बाद हुए युद्धविराम के दो दिन बाद दिया है। 86 वर्षीय खामेनेई ने कहा कि अमेरिका को इस युद्ध से कुछ भी हासिल नहीं हुआ और ईरान ने “जीत” दर्ज की है।

अमेरिकी हमलों को बताया 'असरहीन'

खामेनेई ने अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु स्थलों पर किए गए हमलों को कमतर बताते हुए कहा कि “अमेरिकी हमले कुछ खास नहीं कर पाए।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अमेरिका ने हमलों के प्रभाव को “बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया”, जबकि ईरान के परमाणु कार्यक्रम अभी भी सुरक्षित हैं और जारी रहेंगे।

ईरान का पलटवार और अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमला

खामेनेई ने यह दावा भी किया कि ईरान ने अमेरिका को करारा जवाब दिया और मध्य पूर्व में स्थित सबसे बड़े अमेरिकी एयरबेस (कतर) पर मिसाइल हमला कर एक “कड़ा संदेश” दिया। हालांकि इसमें कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन यह हमला प्रतीकात्मक रूप से अहम माना जा रहा है।

देश की सेना को सराहना और चेतावनी भी दी

तेहरान से अल जज़ीरा के रिपोर्टर रसूल सेरदार के अनुसार, खामेनेई ने अपनी सेना को बधाई दी और उन अफवाहों को खारिज किया जिनमें कहा जा रहा था कि इज़रायली हमलों से ईरानी सेना को भारी नुकसान हुआ है। खामेनेई ने कहा, “अगर इज़राइल दोबारा हमला करता है, तो उसे और अधिक तबाही का सामना करना पड़ेगा।”

लोगों में भविष्य को लेकर डर बरकरार

हालांकि, युद्धविराम के बाद तेहरान लौट रहे नागरिकों में असमंजस और भय बना हुआ है। रिपोर्ट्स के अनुसार, लोग मानते हैं कि यह युद्ध का केवल पहला चरण था और भविष्य में अमेरिका व इज़राइल से एक और बड़ा हमला हो सकता है।

दोनों देशों ने 'जीत' का दावा किया

जहां ईरान ने खुद को विजयी बताया है, वहीं इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी इसे “ऐतिहासिक जीत” बताया। ईरान के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इस युद्ध में 627 ईरानी नागरिक मारे गए, जबकि इज़राइली आंकड़ों के अनुसार ईरान के हमलों में 28 लोग मारे गए।

शनिवार को शहीदों को दी जाएगी अंतिम विदाई

तेहरान में शनिवार को एक भव्य राजकीय अंतिम संस्कार का आयोजन किया जाएगा, जिसमें युद्ध में शहीद हुए शीर्ष सैन्य कमांडरों और परमाणु वैज्ञानिकों को श्रद्धांजलि दी जाएगी।