Bihar में voter list revision पर बढ़ी नाराज़गी, अब सवर्ण भी परेशान

Bhiju Nath

बिहार में वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर अब सिर्फ EBC और अल्पसंख्यक ही नहीं, बल्कि सवर्ण समुदाय भी खुलकर नाराज़गी जता रहा है। मधुबनी जिले के सौराठ गांव में, जो ब्राह्मण बहुल इलाका माना जाता है, वहां के लोग अब शादी की ‘सभा’ से ज़्यादा अपने डोमिसाइल सर्टिफिकेट का इंतज़ार कर रहे हैं। पंचायत प्रतिनिधि विभाकर झा के मुताबिक, 2,200 में से सिर्फ 150 डोमिसाइल सर्टिफिकेट जारी किए गए हैं।

हर वर्ग हो रहा है परेशान

पंचायत की मुखिया कमिनी देवी के बेटे विभाकर कहते हैं, “यह दस्तावेज़ी झंझट हर किसी को परेशान कर रहा है, चाहे वो अमीर हो या गरीब।” वहीं दूसरी ओर चिता देवी जैसी महिलाओं ने भी इस प्रक्रिया को अनावश्यक और कष्टकारी बताया है। यह सिर्फ EBC या मुस्लिम समुदाय तक सीमित मामला नहीं रह गया है, अब सवर्णों में भी असंतोष फैल चुका है।

माइग्रेशन बना नई समस्या

मधुबनी के नवटोली मग्रौनी और अन्य इलाकों में बड़ी संख्या में लोग बाहर नौकरी के लिए गए हुए हैं। वहां BLOs के पास आंकड़े हैं कि 30% से ज़्यादा सवर्ण मतदाताओं ने डोमिसाइल के लिए आवेदन किया है, लेकिन सर्टिफिकेट मिलना बहुत मुश्किल हो गया है। लोग चिंता में हैं कि कहीं वे अपने वोटिंग अधिकार से वंचित न हो जाएं।

हर पार्टी के समर्थक हैं नाराज़

कांग्रेस नेता कृष्णकांत झा ने कहा, “यह पूरा संशोधन काम चुनावी मूड को ही बिगाड़ रहा है। हर पार्टी के समर्थकों को BLO की असहयोगिता और दस्तावेज़ न मिलने की शिकायत है।” बीजेपी नेता रंजीत निर्गुणी ने भी माना कि सबसे ज़्यादा शिकायते डोमिसाइल सर्टिफिकेट को लेकर मिल रही हैं।

लोगों का विश्वास डगमगाया

राजौत गांव की शिल्पी कुमारी जैसी महिलाएं जिनके पास सिर्फ आधार और राशन कार्ड हैं, उन्हें बार-बार डोमिसाइल के लिए कहा जा रहा है। ये वही लोग हैं जिन्होंने 2020 और 2024 दोनों चुनावों में वोट दिया था। फिर भी इस बार उन्हें अपने मतदाता अधिकार पर संशय है।

डोमिसाइल मिलना बना उत्सव

हालात ऐसे हैं कि जिन लोगों को डोमिसाइल मिल रहा है, वो इसे किसी उत्सव से कम नहीं मान रहे। कैंसर सर्वाइवर पूनम कुमारी कहती हैं, “भगवान का शुक्र है, मुझे डोमिसाइल मिल गया। मैं वोटर बनी रहूँगी। यही लोकतंत्र की खूबसूरती है।”